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भारत पेस्टीसाइडस एंड सीड स्टोर 47,एडीशनल मंडी सिरसा नकली बीज बेच रहा था।



शहर सिरसा पुलिस ने कृषि विभाग के नियंत्रण निरीक्षक बाबू लाल द्वारा निरीक्षण करने व शिकायत किए जाने पर एक बीज विके्रता को काबू किया गया है। आरोपी को आज न्यायालय में पेश किया जाएगा। जानकारी देते हुए जेजे कालोनी चौकी प्रभारीएवं जांच अधिकारी उपनिरीक्षक दवेंद्र सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने एडीशनल मंडी की दुकान न. 47 का निरीक्षण किया जहां उन्होने विभिन्न नामी गिरामी बीज कंपनियों के रेपर बरामद किए। इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने स्वर्ण पुत्र गुरबख्श सिंह निवासी भंगू मालिक भारत पेस्टीसाइडस एंड सीड स्टोर 47, एडीशनल मंडी सिरसा को काबू करके उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अभियोग दर्ज किया गया है। इस मामले में दर्ज करवाई शिकायत में बतलाया कि आरोपी असली बीजों के नाम पर कपास के विभिन्न प्रकार की कंपनियों के नकली बीज बेच रहा था।



बीटी कॉटन बीज को लेकर  फिर बवाल
बीटी कॉटन बीज को लेकर मंगलवार को फिर बवाल हो गया है। हरियाणा बीज विकास निगम के कार्यालय से बीज लेने विभिन्न गांवों से आए किसानों को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस कर्मचारियों को डंडे घुमाते हुए हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा। किसानों को कतार में लगाए रखने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी।
बीटी कॉटन सीड बायोसीड 6488 बीजीआईआई लेने के लिए मंगलवार को जिले भर में विभिन्न केंद्रों पर किसानों की भीड़ उमड़ी। बीज हासिल करने के लिए किसानों को कतार में दो से पांच घंटे तक खड़ा रहना पड़ा। किसानों में बायोसीड 6488 बीजी-आई आई का अधिक क्रेज है। इस कारण इसकी मांग को देखते हुए जिला उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने हरियाणा बीज विकास निगम के अधिकारियों को इसका बीज मंगलवार को बेचने के निर्देश दिए थे। बीज हासिल करने के लिए कुछ किसान तो मंगलवार को सुबह चार बजे ही बीज विकास निगम कार्यालय के समक्ष एकत्रित होने शुरू हो गए थे मगर बीज वितरण निगम का काम सुबह नौ बजे आरंभ हुआ। तब तक लगभग दो हजार किसान एकत्रित हो गए। बीज लेने के लिए हर कोई आगे आने की कोशिश में रहा जिसके कारण अव्यवस्था उत्पन्न हो गई।
पुलिस तलब की
स्थिति को नियंत्रण करने के लिए बीज विकास निगम अधिकारियों ने पुलिस को तलब किया। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में किया। सिटी थाना प्रभारी महा सिंह खुद मौके पर आए और किसानों को कतार में लगे रहने के लिए कहा। जब कुछ किसान काबू नहीं आए तो पुलिस कर्मचारियों ने डंडे घुमाते हुए हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा।
बीटी कॉटन सीड के बराबर उत्पादन देने वाली बीजों की अन्य किस्मों में राशि-134,अंकुर जय बीजी-1 और अंकुर जय बीजी-2, एसपी 7007 और राघव आदि किस्में बायोसीड 6488 बीजी-आई आई भी हैं। गांव नाथूसरी चौपटा के किसान रोहताश ने कहा कि बायोसीड 6488 बीजी-आई आई की पैदावार बीजों की अन्य किस्मों की अपेक्षा अधिक है। एक एकड़ में 35 से 50 मन उत्पादन हो जाता है। गांव बुर्ज भंगू के किसान बद्री प्रसाद और कुत्ता बढ़ के किसान अनूप सिंह के मुताबिक बायोसीड ही हर लिहाज से कामयाब रहता है। इसीलिए इस बीज के लिए मारामारी है।


पुलिस पहरे में बंटा बीटी कॉटन सीड कालांवाली में
कालांवाली कृषि विभाग की सरकारी दुकान पर पुलिस पहरे में किसानों को बीटी कॉटन सीड वितरित किया गया। कतार में लगे किसानों के राशन कॉर्ड देख कर बीज के दो दो पैकेट दिए गए। इस मौके पर कालांवाली के नायब तहसीलदार संजय चौधरी, थाना प्रभारी विक्र म नेहरा व एएसआई राम कुमार के अलावा कृषि विभाग के बाबू राम, साहब राम, विजय कुमार व कृष्ण पाल आदि भी थे।








एक आकलन मिट्टी, पानी और मानव रक्त और जैव विविधता के राज्य में एंडोसल्फान अवशेषों पर किया जाएगा. इसके अलावा, आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण एंडोसल्फान का उपयोग अतीत से stemming प्रभाव में देखा जाएगा. रिपोर्ट के बारे में तीन महीने में तैयार किया जाना प्रस्तावित है.






समिति के एक ताजा बैठक के लिए एंडोसल्फान अवशेषों में परिवर्तन की आवधिक निगरानी के लिए प्रोटोकॉल की स्थापना और विश्लेषण करने के लिए नियमित अंतराल पर बदलाव का निर्धारण का फैसला किया. समिति को जल्द से जल्द शुरू करने और विश्लेषण जल संसाधन विकास और प्रबंधन और ओर्निथोलोजी और प्राकृतिक लिए विश्लेषण करने के इतिहास के लिए सलीम अली केन्द्र के लिए केन्द्र की प्रयोगशालाओं भर्ती वांछित. विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोझीकोड के कोचीन विश्वविद्यालय के रासायनिक समुद्र विज्ञान विभाग, भी सूचित किया जाएगा.






हालांकि प्रोटोकॉल से 10 दिनों में तैयार हो रहे थे, इसकी तैयारी में देरी हो रही है.






एंडोसल्फान के शिकार लोगों में से कुछ के रक्त के नमूनों एंडोसल्फान और उसके degradative उत्पादों की उपस्थिति के लिए अतीत में विश्लेषण किया गया. इन वर्तमान अध्ययन के परिणामों के साथ तुलना में किया जाएगा. एंडोसल्फान का छिड़काव 2000 में कसारगोद में केरल के बागान निगम की सम्पदा पर इस्तेमाल के बारे में 25 साल बाद बंद किया गया था. के बाद से एंडोसल्फान का अधिकतम आधा जीवन लगभग 800 दिन, कीटनाशक का ही निशान मिट्टी, पानी और रहने वाले जीवों में शेष होगा अब है. हालांकि, उच्च सांद्रता में तलछट की संभावना है. वहाँ भी जो मछलियों को खाद्य श्रृंखला चाल के लिए जारी रहेगा में bioaccumulation की संभावना है.






एंडोसल्फान या उसके degradative उत्पादों के लिए अब पानी बहने में पता लगाया जा संभावना नहीं है. अगर कीटनाशक भूजल दूषित है, वे "Surangams" के माध्यम से तैयार पानी में मौजूद हो सकता है (सुरंगों का एक विशेष प्रकार क्षेत्र में जल संचय के लिए इस्तेमाल किया hillocks में) में कटौती कर सकते हैं. कुओं भी नीचे कीचड़ में अवशेष है जब तक वे साफ कर दिया गया था हो सकता है.






आर अजय कुमार वर्मा, सदस्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण, जो समिति के प्रमुख के लिए केरल राज्य परिषद के सचिव का कहना है कि नमूने के 11 प्रभावित पंचायतों और किसी भी आसपास के इलाकों के अवशेष हो सकता है कि में किया जाएगा. उप समिति के समूहों के अध्ययन के विभिन्न पहलुओं के आरोप में किया जाएगा. वे जिले में पंचायतों और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे.






समिति के सदस्य हैं वी.एस. (केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) विजयन, एस Muraleedharan (पर्यावरण toxicologist, सलीम अली केन्द्र), सी. जयकुमार (निदेशक, Thanal, तिरुवनन्तपुरम); Chandramohana कुमार (रसायन विभाग समुद्र विज्ञान, विज्ञान और) प्रौद्योगिकी कोचीन विश्वविद्यालय, पी. Jayakrishnan (कम्युनिटी मेडिसिन, सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोझीकोड विभाग); Purushan (Eloor Janajagratha, Eloor, कोच्चि), और सुकन्या (सामुदायिक स्वास्थ्य सेल, बंगलौर).






एक आकलन मिट्टी, पानी और मानव रक्त और जैव विविधता के राज्य में एंडोसल्फान अवशेषों पर किया जाएगा. इसके अलावा, आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण एंडोसल्फान का उपयोग अतीत से stemming प्रभाव में देखा जाएगा. रिपोर्ट के बारे में तीन महीने में तैयार किया जाना प्रस्तावित है.
समिति के एक ताजा बैठक के लिए एंडोसल्फान अवशेषों में परिवर्तन की आवधिक निगरानी के लिए प्रोटोकॉल की स्थापना और विश्लेषण करने के लिए नियमित अंतराल पर बदलाव का निर्धारण का फैसला किया. समिति को जल्द से जल्द शुरू करने और विश्लेषण जल संसाधन विकास और प्रबंधन और ओर्निथोलोजी और प्राकृतिक लिए विश्लेषण करने के इतिहास के लिए सलीम अली केन्द्र के लिए केन्द्र की प्रयोगशालाओं भर्ती वांछित. विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोझीकोड के कोचीन विश्वविद्यालय के रासायनिक समुद्र विज्ञान विभाग, भी सूचित किया जाएगा.



हालांकि प्रोटोकॉल से 10 दिनों में तैयार हो रहे थे, इसकी तैयारी में देरी हो रही है.



एंडोसल्फान के शिकार लोगों में से कुछ के रक्त के नमूनों एंडोसल्फान और उसके degradative उत्पादों की उपस्थिति के लिए अतीत में विश्लेषण किया गया. इन वर्तमान अध्ययन के परिणामों के साथ तुलना में किया जाएगा. एंडोसल्फान का छिड़काव 2000 में कसारगोद में केरल के बागान निगम की सम्पदा पर इस्तेमाल के बारे में 25 साल बाद बंद किया गया था. के बाद से एंडोसल्फान का अधिकतम आधा जीवन लगभग 800 दिन, कीटनाशक का ही निशान मिट्टी, पानी और रहने वाले जीवों में शेष होगा अब है. हालांकि, उच्च सांद्रता में तलछट की संभावना है. वहाँ भी जो मछलियों को खाद्य श्रृंखला चाल के लिए जारी रहेगा में bioaccumulation की संभावना है.
एंडोसल्फान या उसके degradative उत्पादों के लिए अब पानी बहने में पता लगाया जा संभावना नहीं है. अगर कीटनाशक भूजल दूषित है, वे "Surangams" के माध्यम से तैयार पानी में मौजूद हो सकता है (सुरंगों का एक विशेष प्रकार क्षेत्र में जल संचय के लिए इस्तेमाल किया hillocks में) में कटौती कर सकते हैं. कुओं भी नीचे कीचड़ में अवशेष है जब तक वे साफ कर दिया गया था हो सकता है.



आर अजय कुमार वर्मा, सदस्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण, जो समिति के प्रमुख के लिए केरल राज्य परिषद के सचिव का कहना है कि नमूने के 11 प्रभावित पंचायतों और किसी भी आसपास के इलाकों के अवशेष हो सकता है कि में किया जाएगा. उप समिति के समूहों के अध्ययन के विभिन्न पहलुओं के आरोप में किया जाएगा. वे जिले में पंचायतों और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे.



समिति के सदस्य हैं वी.एस. (केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) विजयन, एस Muraleedharan (पर्यावरण toxicologist, सलीम अली केन्द्र), सी. जयकुमार (निदेशक, Thanal, तिरुवनन्तपुरम); Chandramohana कुमार (रसायन विभाग समुद्र विज्ञान, विज्ञान और) प्रौद्योगिकी कोचीन विश्वविद्यालय, पी. Jayakrishnan (कम्युनिटी मेडिसिन, सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोझीकोड विभाग); Purushan (Eloor Janajagratha, Eloor, कोच्चि), और सुकन्या (सामुदायिक स्वास्थ्य सेल, बंगलौर).


बीटी कॉटन बीज उपलब्ध कराने का निर्देश
चंडीगढ़,: मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य कृषि विभाग और उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे बीटी कॉटन के बीजों की आपूर्ति एवं उपलब्धता की बारीकी से निगरानी करें। हुड्डा इन दिनों प्रतिनिधिमंडल के साथ इजरायल के दौरे पर हैं। यहां जारी बयान में हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार ने बीटी कॉटन के बीज की पर्याप्त मात्रा का प्रबंध किया है। राज्य सरकार ने बीटी कॉटन के बीज के 36.61 लाख पैकेट का प्रबंध किया है, गत वर्ष के दौरान केवल 23.50 लाख बीज के पैकेट का ही उपयोग हुआ था। हुड्डा ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 13 लाख पैकेट से अधिक बीजों की मात्रा का प्रबंध किया गया है। राज्य सरकार द्वारा किए गए बीजों के प्रबंधों की मात्रा छह लाख हेक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त होगी। कृषि विभाग के प्रवक्ता ने जारी बयान में बताया कि यह पहली बार है कि हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्रों पर बीटी कॉटन के बीजों के तीन लाख से अधिक पैकेट उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि बाकि बीजों की मात्रा निजी डीलरों को उपलब्ध कराई गई है। किसी जिला का कोई भी निजी डीलर दूसरे जिले में बीज नहीं बेच सकता। निजी डीलरों को उपलब्ध कराए गए बीज कृषि विभाग के अधिकारियों की देख-रेख में बेचे जा रहे हैं।
लहलहाएगी इजरायली नींबू-संतरे की फसल
चंडीगढ़, : प्रदेश सरकार इजरायल से सिटरस (नींबू प्रजाति) फलों की कई प्रजातियों का आयात करेगी। इजरायली विशेषज्ञों की सहायता से आम उपज को भी बढ़ावा देने की योजना है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने इजरायल दौरे के दौरान बृहस्पतिवार को इजरायली विशेषज्ञों के साथ सिटरस फलों और आम के बगीचों का भी दौरा किया। हुड्डा ने सिटरस विशेषज्ञ ओरबैच योसेफ के साथ इजरायल में सिटरस बगीचे का दौरा किया और वह सिटरस की उच्च किस्मों को देखकर प्रभावित हुए। विभिन्न प्रजातियों के 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस सिटरस बगीचे से 80 टन से 120 टन प्रति हेक्टेयर की उपज हो रही है जिससे 40 हजार डॉलर प्रति हेक्टेयर की आय होती है। भारत में यह उत्पादन 10-16 टन प्रति हेक्टेयर है। मुख्यमंत्री ने मेहोव बेनेई डरोर के सिटरस पैक हॉऊस का भी दौरा किया। इसकी क्षमता 100 टन प्रतिदिन है और 2.5 लाख टन सिटरस प्रति वर्ष निर्यात किया जा रहा है। हुड्डा ने प्रदेश के बागवानी महानिदेशक को सिटरस फलों की ऐसी ही पैकिंग इकाई से संबंधित प्रस्ताव सरकार को भेजने का निर्देश दिया। बागवानी महानिदेशक भी उनके साथ इजरायल दौरे पर हैं। हुड्डा ने आम विशेषज्ञ क्लीफ लहव के साथ आम के बगीचे का भी दौरा किया। वह इस बगीचे से प्रदेश की 8-12 टन प्रति हेक्टेयर की तुलना में लगभग 30-35 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज ले रहे हैं। उन्हें बताया गया कि मैंगो की माया किस्म यूरोपियन देशों को निर्यात की जाती है। प्रदेश में भारत-इजरायल परियोजना के अंतर्गत आम विशेषज्ञ क्लीफ लहव ने हुड्डा को यमुनानगर जिले में आम और लीची को बढ़ावा देने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ जैतून के बगीचे का भी दौरा किया
आउटलेट पर नहीं मिला बीज, जाम लगाया

सिरसा रोड स्थित विक्रय केंद्र पर पुलिस की मौजूदगी में दो घंटे तक हंगामा
नरमे का बीज लेने वाले किसानों के साथ कृषि विभाग ने एक बार फिर मजाक किया। शुक्रवार को हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ गए। बीज लेने के लिए सिरसा रोड पर बीज केंद्र पर भगदड़ मच गई और करीब दो घंटे तक पुलिस की मौजूदगी में हंगामा होता रहा। इसके बाद किसानों ने रोड जाम कर दिया।
हालात उस समय बिगड़े जब गुरुवार को किसानों की सुविधा के लिए बने शहर में खोले गए सात आउटलेट पर शुक्रवार को बीज नहीं मिला। बीज लेने के लिए किसानों को मारे मारे फिरना पड़ा। घंटों तक बीज का इंतजार करने के बाद भी किसानों को जब बीज नहीं मिला तो उन्होंने ने शुक्रवार दोपहर को सिरसा रोड को बीस मिनट तक जाम रखा। बाद में विभाग के अधिकारियों ने बीज मंगाया और किसानों को बीज वितरित किया गया।
जाम लगाने वाले किसानों का आरोप था कि विभाग के अधिकारी बीज की कालाबाजारी को बढ़ावा दे रहे हैं। प्राइवेट दुकानों पर बीटी का बीज सरकारी रेट से सौ रुपए अधिक की कीमत देने पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। कृषि विभाग ने गुरुवार को खोले सात प्राइवेट दुकानों के आउटलेट सेंटर को एक दिन भी नहीं खोला गया उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में उनको बीज की उपलब्धता बिजाई का समय खत्म होने तक भी नहीं हो पाएगी।
कृषि विकास अधिकारी सुशील अरोड़ा ने कहा कि आज एक ही आउटलेट सेंटर पर बीज दिया जा रहा है। अगर आगे जरूरत हुई तो विभाग इन सेंटर को खोलेगा।
बजरंग दास गर्ग ने भी माना बीज की कमी
बजरंग दास गर्ग ने बीज की उपलब्धता पर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने माना कि क्षेत्र में बीटी कॉटन बीज की अभी कमी है। अगर इस कमी के दौरान कोई कालाबाजारी करता है तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही बीज की पर्याप्त उपलब्धता हो जाएगी। कंपनियों को और पैकेट बनाने के लिए कहा गया है।
 प्रशासन ने 400 पैकेट मंगवाए
हिसार, : सिरसा रोड स्थित सरकारी बीज केन्द्र पर शनिवार को बीज न मिल पाने के विरोध में किसानों ने एक बार रोड जाम कर कर विरोध प्रदर्शन किया। शनिवार को प्रशासन ने 400 पैकेट मंगवाए थे लेकिन 500 से अधिक किसान बीज लेने आ गए। ऐसे में मात्र दो किसानों को ही बीज के लिए पर्ची दी गई। इससे गुस्साए किसानों ने रोड पर जाम लगा दिया। लगभग दस मिनट बाद पुलिस व प्रशासन ने किसानों को और बीज देने की बात कह कर शांत किया। वहीं किसानों ने कहा कि जब बीज बांटने ही है तो कम मात्रा में बीज क्यों ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां भारी संख्या में किसान सुबह ही आ जाते हैं ऐसे में प्रशासन को पर्याप्त मात्रा में बीज की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीज खरीदने के बाद किसानों को रसीद भी नहीं दी जा रही है। अब साथ-साथ बीजी-2 बीटी काटन बीजी-1 के बीज की मांग व आपूर्ति की समस्या के को हल करने के लिए डॉ.अमित अग्रवाल की अध्यक्षता में शनिवार को कृषि अधिकारियों व कृषि वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक हुई। इस बैठक में बीटी काटन की विभिन्न किस्मों की पैदावार व अन्य विषयों पर विचार किया गया। बीज लेने के लिए ग्रामीणों को राशन कार्ड होना जरुरी होगा। इस मौके पर हकृवि के अनुसंधान निदेशक डा. आरपी नरवाल ने बताया कि बीजी-1 व बीजी-2 की पैदावार में कोई अंतर नहीं है बल्कि कीट नियंत्रण के हिसार से बीजी-2 ज्यादा बेहतर है, क्योंकि इनमें चार प्रकार की सुंडियों का नियंत्रण है जबकि बीजी-1 में केवल तीन प्रकार की सुडि़यों का ही नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि किसानों को बीजी-1 के साथ बीजी-2 भी लगाना चाहिए उन्हें बीटी काटन के बीज की उपलब्धता बारे कोई परेशानी ना आए। बैठक में उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब बीजी-1 के एक पैकेट के साथ एक पैकट बीजी-2 का भी लेना आवश्यक होगा। जिससे बीटी काटन के बीजों की उपलब्धता के बारे में किसानों को कोई समस्या ना आए। बीजी-2 का बीज जिला में प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तथा किसानों से अपील है कि वे बीजी-1 के साथ बीजी-2 का बीज भी खरीदें तथा राशि 134 बीजी-1 के अतिरिक्त विभिन्न किस्मों के बीजी-1 बीज जो प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।